ज़िन्दगी के स्टोरी बोर्ड पे रोजाना कितने ही चित्र उभरते हैं . समुद्र की लहरों की तरह मन में विचार आते हैं , और वापस उस अथाह गहराई में डूब जाते हैं . मानव इसी चिंतन मनन में अपना जीवन व्यतीत कर देता है . और इसी दौरान ज़िन्दगी के उतार चढ़ावों को पार करता है. पर यहाँ इस पढाव पे ज़रूरत है हमें रुकने की और सोचने की कहाँ और कैसे हमें अपना स्मृतिपटल सजाना है वो भी अपने हिसाब से . अपने तरीके से क्यूंकि यह जीवन नाम है एक ऐसे सफ़र का जहाँ पे हमें ये निश्चय करना है की हमें कहा जाना है, किस दिशा में किस ओर, नाकि की हवा क चलन क साथ हम बहते जायें और बस ज़िन्दगी कटती जाये .
कहने का अर्थ ये है की ज़िन्दगी के स्टोरी बोर्ड को हमें अपने हिसाब से अर्रेंज करना है.
ज़िन्दगी जीनी है तो अपने हिसाब से जी,
इन ओस की बूंदों को जी भर के पी.
हवा का रुख मोड़ दे,
हर बंधन को तोड़ दे.
जीले ज़िन्दगी, जीले ज़िन्दगी ....
ज़िन्दगी है बस यही
ज़िन्दगी है बस यही.
No comments:
Post a Comment